सुनहू उमा ते लोग अभागी। हरि तजि होहिं बिषय अनुरागी। पुनि सीतहि खोजत द्वौ भाई। चले बिलोकत बन बहुताई॥2॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
तृतीय सोपान | Descent Third
श्री अरण्यकाण्ड | Shri Aranya-Kand
चौपाई :
सुनहू उमा ते लोग अभागी। हरि तजि होहिं बिषय अनुरागी।
पुनि सीतहि खोजत द्वौ भाई। चले बिलोकत बन बहुताई॥2॥
भावार्थ:
(शिवजी कहते हैं-) हे पार्वती! सुनो, वे लोग अभागे हैं, जो भगवान् को छोड़कर विषयों से अनुराग करते हैं। फिर दोनों भाई सीताजी को खोजते हुए आगे चले। वे वन की सघनता देखते जाते हैं॥2॥
English :
IAST :
Meaning :