सुनि कटु बचन कुठार सुधारा। हाय हाय सब सभा पुकारा॥ भृगुबर परसु देखावहु मोही। बिप्र बिचारि बचउँ नृपदोही॥3॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kand
सुनि कटु बचन कुठार सुधारा। हाय हाय सब सभा पुकारा॥
भृगुबर परसु देखावहु मोही। बिप्र बिचारि बचउँ नृपदोही॥3॥
भावार्थ:
लक्ष्मणजी के कडुए वचन सुनकर परशुरामजी ने कुठार सम्हाला। सारी सभा हाय-हाय! करके पुकार उठी। (लक्ष्मणजी ने कहा-) हे भृगुश्रेष्ठ! आप मुझे फरसा दिखा रहे हैं? पर हे राजाओं के शत्रु! मैं ब्राह्मण समझकर बचा रहा हूँ (तरह दे रहा हूँ)॥3॥
English :
IAST :
Meaning :