सूपनखहि समुझाइ करि बल बोलेसि बहु भाँति। गयउ भवन अति सोचबस नीद परइ नहिं राति॥22॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
तृतीय सोपान | Descent Third
श्री अरण्यकाण्ड | Shri Aranya-Kand
दोहा :
सूपनखहि समुझाइ करि बल बोलेसि बहु भाँति।
गयउ भवन अति सोचबस नीद परइ नहिं राति॥22॥
भावार्थ:
उसने शूर्पणखा को समझाकर बहुत प्रकार से अपने बल का बखान किया, किन्तु (मन में) वह अत्यन्त चिंतावश होकर अपने महल में गया, उसे रात भर नींद नहीं पड़ी॥22॥
English :
IAST :
Meaning :