सेतुबंध भइ भीर अति कपि नभ पंथ उड़ाहिं। अपर जलचरन्हि ऊपर चढ़ि चढ़ि पारहि जाहिं॥4॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
षष्ठः सोपानः | Descent 6th
श्री लंकाकाण्ड | Shri Lanka Kand
दोहा :
सेतुबंध भइ भीर अति कपि नभ पंथ उड़ाहिं।
अपर जलचरन्हि ऊपर चढ़ि चढ़ि पारहि जाहिं॥4॥
भावार्थ:
सेतुबन्ध पर बड़ी भीड़ हो गई, इससे कुछ वानर आकाश मार्ग से उड़ने लगे और दूसरे (कितने ही) जलचर जीवों पर चढ़-चढ़कर पार जा रहे हैं॥4॥
English :
IAST :
Meaning :