सौंपि सचिव गुर भरतहिं राजू। तेरहुति चले साजि सबु साजू॥ नगर नारि नर गुर सिख मानी। बसे सुखेन राम रजधानी॥4॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
द्वितीय सोपान | Descent Second
श्री अयोध्याकाण्ड | Shri Ayodhya-Kand
चौपाई :
सौंपि सचिव गुर भरतहिं राजू। तेरहुति चले साजि सबु साजू॥
नगर नारि नर गुर सिख मानी। बसे सुखेन राम रजधानी॥4॥
भावार्थ:
तथा मंत्री, गुरुजी तथा भरतजी को राज्य सौंपकर, सारा साज-सामान ठीक करके तिरहुत को चले। नगर के स्त्री-पुरुष गुरुजी की शिक्षा मानकर श्री रामजी की राजधानी अयोध्याजी में सुखपूर्वक रहने लगे॥4॥
English :
IAST :
Meaning :