हरिचरित्र मानस तुम्ह गावा। सुनि मैं नाथ अमिति सुख पावा॥ तुम्ह जो कही यह कथा सुहाई। कागभुशण्डि गरुड़ प्रति गाई॥4॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
सप्तमः सोपानः | Descent 7th
श्री उत्तरकाण्ड | Shri Uttara Kanda
चौपाई :
हरिचरित्र मानस तुम्ह गावा। सुनि मैं नाथ अमिति सुख पावा॥
तुम्ह जो कही यह कथा सुहाई। कागभुशण्डि गरुड़ प्रति गाई॥4॥
भावार्थ:
हे नाथ! आपने श्री रामचरित्र मानस का गान किया, उसे सुनकर मैंने अपार सुख पाया। आपने जो यह कहा कि यह सुंदर कथा काकभुशुण्डिजी ने गरुड़जी से कही थी-॥4॥
IAST :
Meaning :