हरि ब्यापक सर्बत्र समाना। प्रेम तें प्रगट होहिं मैं जाना॥ देस काल दिसि बिदिसिहु माहीं। कहहु सो कहाँ जहाँ प्रभु नाहीं॥3॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kand
चौपाई :
हरि ब्यापक सर्बत्र समाना। प्रेम तें प्रगट होहिं मैं जाना॥
देस काल दिसि बिदिसिहु माहीं। कहहु सो कहाँ जहाँ प्रभु नाहीं॥3॥
भावार्थ:
मैं तो यह जानता हूँ कि भगवान सब जगह समान रूप से व्यापक हैं, प्रेम से वे प्रकट हो जाते हैं, देश, काल, दिशा, विदिशा में बताओ, ऐसी जगह कहाँ है, जहाँ प्रभु न हों॥3॥
English :
IAST :
Meaning :
सर्वप्रथम आपके संपूर्ण प्रयास करता दल को मेरा हार्दिक अभिवादन।
यह मेरा सौभाग्य है की मैं आप जैसे निस्वार्थ भाव से काम करने वाले लोगों के संपर्क में आया हूं। अभी मैं बहुत सी समस्याओं से एक साथ लड़ रहा हूं। भविष्य में मुझसे जो कुछ बन पड़ेगा करूंगा। हृदय से आपका आभार, 🙏💐