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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

हरि ब्यापक सर्बत्र समाना। प्रेम तें प्रगट होहिं मैं जाना॥ देस काल दिसि बिदिसिहु माहीं। कहहु सो कहाँ जहाँ प्रभु नाहीं॥3॥

Spread the Glory of Sri SitaRam!

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चौपाई :

हरि ब्यापक सर्बत्र समाना। प्रेम तें प्रगट होहिं मैं जाना॥
देस काल दिसि बिदिसिहु माहीं। कहहु सो कहाँ जहाँ प्रभु नाहीं॥3॥

भावार्थ:

मैं तो यह जानता हूँ कि भगवान सब जगह समान रूप से व्यापक हैं, प्रेम से वे प्रकट हो जाते हैं, देश, काल, दिशा, विदिशा में बताओ, ऐसी जगह कहाँ है, जहाँ प्रभु न हों॥3॥

 

    English :

 

 

IAST :

 

 

Meaning :


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One thought on “हरि ब्यापक सर्बत्र समाना। प्रेम तें प्रगट होहिं मैं जाना॥ देस काल दिसि बिदिसिहु माहीं। कहहु सो कहाँ जहाँ प्रभु नाहीं॥3॥

  • Madan Mohan belwal

    सर्वप्रथम आपके संपूर्ण प्रयास करता दल को मेरा हार्दिक अभिवादन।
    यह मेरा सौभाग्य है की मैं आप जैसे निस्वार्थ भाव से काम करने वाले लोगों के संपर्क में आया हूं। अभी मैं बहुत सी समस्याओं से एक साथ लड़ रहा हूं। भविष्य में मुझसे जो कुछ बन पड़ेगा करूंगा। हृदय से आपका आभार, 🙏💐

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