हर गन मुनिहि जात पथ देखी। बिगत मोह मन हरष बिसेषी॥ अति सभीत नारद पहिं आए। गहि पद आरत बचन सुहाए॥1॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kand
चौपाई :
हर गन मुनिहि जात पथ देखी। बिगत मोह मन हरष बिसेषी॥
अति सभीत नारद पहिं आए। गहि पद आरत बचन सुहाए॥1॥
भावार्थ:
शिवजी के गणों ने जब मुनि को मोहरहित और मन में बहुत प्रसन्न होकर मार्ग में जाते हुए देखा तब वे अत्यन्त भयभीत होकर नारदजी के पास आए और उनके चरण पकड़कर दीन वचन बोले-॥1॥
English :
IAST :
Meaning :