आकर चारि लाख चौरासी। जाति जीव जल थल नभ बासी॥ सीय राममय सब जग जानी। करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी॥7 (घ).1॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 7 (घ).1 | Caupāī 7 (Gha).1
आकर चारि लाख चौरासी। जाति जीव जल थल नभ बासी॥
सीय राममय सब जग जानी। करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी॥1॥
भावार्थ:-चौरासी लाख योनियों में चार प्रकार के (स्वेदज, अण्डज, उद्भिज्ज, जरायुज) जीव जल, पृथ्वी और आकाश में रहते हैं, उन सबसे भरे हुए इस सारे जगत को श्री सीताराममय जानकर मैं दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ॥1॥
ākara cāri lākha caurāsī. jāti jīva jala thala nabha bāsī..
sīya rāmamaya saba jaga jānī. karauom pranāma jōri juga pānī..
Eight million and four hundred thousand species of living beings, classified under four broad divisions, inhabit land, water and the air. Recognizing the entire creation as full of Sita and Rama, I make obeisance to them with joined palms.