एहि बिधि जग हरि आश्रित रहई। जदपि असत्य देत दुख अहई॥ जौं सपनें सिर काटै कोई। बिनु जागें न दूरि दुख होई॥1॥
Spread the Glory of Sri SitaRam!श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
Read More