बिधि बाम की करनी कठिन जेहिं मातु कीन्ही बावरी। तेहि राति पुनि पुनि करहिं प्रभु सादर सरहना रावरी॥ तुलसी न तुम्ह सो राम प्रीतमु कहतु हौं सौंहे किएँ। परिनाम मंगल जानि अपने आनिए धीरजु हिएँ॥
Spread the Glory of Sri SitaRam!श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
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