मंडपु बिलोकि बिचित्र रचनाँ रुचिरताँ मुनि मन हरे। निज पानि जनक सुजान सब कहुँ आनि सिंघासन धरे॥ कुल इष्ट सरिस बसिष्ट पूजे बिनय करि आसिष लही। कौसिकहि पूजन परम प्रीति कि रीति तौ न परै कही॥
Spread the Glory of Sri SitaRam!श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
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