बहु राम लछिमन देखि मर्कट भालु मन अति अपडरे। जनु चित्र लिखित समेत लछिमन जहँ सो तहँ चितवहिं खरे॥ निज सेन चकित बिलोकि हँसि सर चाप सजि कोसलधनी। माया हरी हरि निमिष महुँ हरषी सकल मर्कट अनी॥
Spread the Glory of Sri SitaRam! श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte श्रीरामचरितमानस | Shri
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