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श्री शिव स्तुति संग्रह

श्री रुद्राष्टकम् संस्कृत हिंदी अंग्रेजी अर्थ सहित | Shri Rudrashtakam Lyrics in Sanskrit Hindi English

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श्री रुद्राष्टकम् संस्कृत हिंदी अंग्रेजी अर्थ सहित

 

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपं।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहं॥१॥

namāmīśamīśāna nirvāṇarūpaṃ
vibhuṃ vyāpakaṃ brahma vedasvarūpaṃ।
nijaṃ nirguṇaṃ nirvikalpaṃ nirīhaṃ
cidākāśamākāśavāsaṃ bhaje’haṃ॥1॥

हे ईशान! मैं मुक्तिस्वरूप, समर्थ, सर्वव्यापक, ब्रह्म, वेदस्वरूप, निजस्वरूप में स्थित, निर्गुण, निर्विकल्प, निरीह, अनन्त ज्ञानमय और आकाश के समान सर्वत्र व्याप्त प्रभु को प्रणाम करता हूँ॥१॥

I bow to the Ruler of the Universe, whose very form is Liberation,the omnipotent and all pervading Brahma,manifest as the Vedas. I worship Shiva, shining in his own glory, without physical qualities,Undifferentiated, desireless, all pervading sky of consciousness and wearing the sky itself as His garment.

निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयं
गिरा ग्यान गोतीतमीशं गिरीशं।
करालं महाकाल कालं कृपालं
गुणागार संसारपारं नतोऽहं॥२॥

nirākāramoṅkāramūlaṃ turīyaṃ
girā gyāna gotītamīśaṃ girīśaṃ।
karālaṃ mahākāla kālaṃ kṛpālaṃ
guṇāgāra saṃsārapāraṃ nato’haṃ॥2॥

जो निराकार हैं, ओंकाररूप आदिकारण हैं, तुरीय हैं, वाणी, बुद्धि और इन्द्रियों के पथ से परे हैं, कैलासनाथ हैं, विकराल और महाकाल के भी काल, कृपाल, गुणोंके आगार और संसार से तारने वाले हैं, उन भगवान् को मैं नमस्कार करता हूँ॥२॥

I bow to the supreme Lord who is the formless source of “Aum” The Self of All, transcending all conditions and states,Beyond speech, understanding and sense perception, Awe-full, but gracious, the ruler of Kailash, Devourer of Death, the immortal abode of all virtues.

तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं
मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरं।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गंगा
लसद्भालबालेन्दु कंठे भुजंगा॥३॥

tuṣārādri saṃkāśa gauraṃ gabhīraṃ
manobhūta koṭi prabhā śrī śarīraṃ।
sphuranmauli kallolinī cāru gaṃgā
lasadbhālabālendu kaṃṭhe bhujaṃgā॥3॥

जो हिमालय के समान श्वेतवर्ण, गम्भीर और करोड़ों कामदेव के समान कान्तिमान् शरीर वाले हैं, जिनके मस्तक पर मनोहर गंगाजी लहरा रही हैं, भालदेश में बालचन्द्रमा सुशोभित होते हैं और गले में सॉ की माला शोभा देती है॥३॥

I worship Shiva, whose form is white as the Himalyan snow, Radiant with the beauty of countless Cupids, Whose head sparkles with river Ganga. With crescent moon adorning his brow and snakes coiling his neck.

चलत्कुंडलं भ्रू सुनेत्रं विशालं
प्रसन्नाननं नीलकंठं दयालं।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुंडमालं
प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि॥४॥

calatkuṃḍalaṃ bhrū sunetraṃ viśālaṃ
prasannānanaṃ nīlakaṃṭhaṃ dayālaṃ।
mṛgādhīśacarmāmbaraṃ muṃḍamālaṃ
priyaṃ śaṃkaraṃ sarvanāthaṃ bhajāmi॥4॥

जिनके कानों में कुण्डल हिल रहे हैं, जिनके नेत्र एवं भृकुटी सुन्दर और विशाल हैं, जिनका मुख प्रसन्न और कण्ठ नील है, जो बड़े ही दयालु हैं, जो बाघ की खाल का वस्त्र और मुण्डों की माला पहनते हैं, उन सर्वाधीश्वर प्रियतम शिव का मैं भजन करता हूँ॥४॥

The beloved Lord of All, with shimmering pendants hanging from his ears, Beautiful eyebrows and large eyes, Full of Mercy with a cheerful countenance and a blue speck on his throat.

Shri Rudrashtakam Lyrics in with Sanskrit Hindi English Meaning

प्रचंडं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं
अखंडं अजं भानुकोटिप्रकाशं।
त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं
भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यं ॥५॥

pracaṃḍaṃ prakṛṣṭaṃ pragalbhaṃ pareśaṃ
akhaṃḍaṃ ajaṃ bhānukoṭiprakāśaṃ।
trayaḥ śūla nirmūlanaṃ śūlapāṇiṃ
bhaje’haṃ bhavānīpatiṃ bhāvagamyaṃ ॥5॥

जो प्रचण्ड, सर्वश्रेष्ठ, प्रगल्भ, परमेश्वर, पूर्ण, अजन्मा, कोटि सूर्य के समान प्रकाशमान, त्रिभुवन के शूलनाशक और हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले हैं, उन भावगम्य भवानीपति का मैं भजन करता हूँ॥५॥

I worship Shankara, Bhavani’s husband,The fierce, exalted, luminous supreme Lord.Indivisible, unborn and radiant with the glory of a million suns; Who, holding a trident, tears out the root of the three-fold suffering,And who is reached only through Love.

कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी।
चिदानंद संदोह मोहापहारी
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी॥६॥

kalātīta kalyāṇa kalpāntakārī
sadā sajjanānandadātā purārī।
cidānaṃda saṃdoha mohāpahārī
prasīda prasīda prabho manmathārī॥6॥

हे प्रभो! आप कलारहित, कल्याणकारी और कल्प का अन्त करने वाले हैं। आप सर्वदा सत्पुरुषों को आनन्द देते हैं, आपने त्रिपुरासुर का नाश किया था, आप मोहनाशक और ज्ञानानन्दघन परमेश्वर हैं, कामदेव के आप शत्रु हैं, आप मुझपर प्रसन्न हों, प्रसन्न हों॥६॥

You who are without parts, ever blessed, The cause of universal destruction at the end of each round of creation, A source of perpetual delight to the pure of heart,Slayer of the demon, Tripura, consciousness and bliss personified,
Dispeller of delusion Have mercy on me, foe of Lust.

न यावद् उमानाथ पादारविन्दं
भजंतीह लोके परे वा नराणाम्।
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं॥७॥

na yāvad umānātha pādāravindaṃ
bhajaṃtīha loke pare vā narāṇām।
na tāvatsukhaṃ śānti santāpanāśaṃ
prasīda prabho sarvabhūtādhivāsaṃ॥7॥

मनुष्य जब तक उमाकान्त महादेवजी के चरणारविन्दों का भजन नहीं करते, उन्हें इहलोक या परलोक में कभी सुख और शान्ति की प्राप्ति नहीं होती और न उनका सन्ताप ही दूर होता है। हे समस्त भूतों के निवासस्थान भगवान् शिव! आप मुझपर प्रसन्न हों॥७॥

Oh Lord of Uma, so long as you are not worshipped there is no happiness, peace or freedom from suffering in this world or the next. You who dwell in the hearts of all living beings, and in whom all beings have their existence, Have mercy on me, Lord.

न जानामि योगं जपं नैव पूजां
नतोऽहं सदा सर्वदा शंभु तुभ्यं ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो॥८॥

na jānāmi yogaṃ japaṃ naiva pūjāṃ
nato’haṃ sadā sarvadā śaṃbhu tubhyaṃ ।
jarā janma duḥkhaugha tātapyamānaṃ
prabho pāhi āpannamāmīśa śaṃbho॥8॥

हे प्रभो ! हे शम्भो! हे ईश! मैं योग, जप और पूजा कुछ भी नहीं जानता, हे शम्भो! मैं सदा-सर्वदा आपको नमस्कार करता हूँ। जरा, जन्म और दुःख समूह से सन्तप्त होते हुए मुझ दुःखी की दुःख से आप रक्षा कीजिये॥ ८॥

I don’t know yoga, prayer or rituals, But everywhere and at every moment, I bow to you, Shambhu ! Protect me my Lord, miserable and afflicted as I am with the sufferings of birth, old-age and death.

रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये।
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति॥९॥

rudrāṣṭakamidaṃ proktaṃ vipreṇa haratoṣaye।
ye paṭhanti narā bhaktyā teṣāṃ śambhuḥ prasīdati॥9॥

जो मनुष्य भगवान् शंकर की तुष्टि के लिये ब्राह्मण द्वारा कहे हुए इस रुद्राष्टक का भक्तिपूर्वक पाठ करते हैं, उनपर शंकरजी प्रसन्न होते हैं॥९॥

Lord Rudra’s this ashtakam is for the worship of supreme lord Shiva. The person who chants ashtakam Lord Shiva remains happy with him.

इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम्।


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Shivangi

शिवांगी RamCharit.in को समृद्ध बनाने के लिए जनवरी 2019 से कर्मचारी के रूप में कार्यरत हैं। यह इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी में स्नातक एवं MBA (Gold Medalist) हैं। तकनीकि आधारित संसाधनों के प्रयोग से RamCharit.in पर गुणवत्ता पूर्ण कंटेंट उपलब्ध कराना इनकी जिम्मेदारी है जिसे यह बहुत ही कुशलता पूर्वक कर रही हैं।

2 thoughts on “श्री रुद्राष्टकम् संस्कृत हिंदी अंग्रेजी अर्थ सहित | Shri Rudrashtakam Lyrics in Sanskrit Hindi English

  • V. K. Gaur

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