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श्री शिव स्तुति संग्रह

श्री विश्वनाथाष्टकम् संस्कृत हिंदी अंग्रेजी अर्थ सहित | Shri Vishwanathashtakam Lyrics in Sanskrit Hindi English

Spread the Glory of Sri SitaRam!

श्री विश्वनाथाष्टकम् संस्कृत हिंदी अंग्रेजी अर्थ सहित

 

गङ्गातरङ्गरमणीयजटाकलापं
गौरीनिरन्तरविभूषितवामभागम्।
नारायणप्रियमनङ्गमदापहारं
वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम्॥१॥

gaṅgātaraṅgaramaṇīyajaṭākalāpaṃ
gaurīnirantaravibhūṣitavāmabhāgam।
nārāyaṇapriyamanaṅgamadāpahāraṃ
vārāṇasīpurapatiṃ bhaja viśvanātham॥1॥

जिनकी जटाएँ गंगाजी की लहरों से सुन्दर प्रतीत होती हैं, जिनका वामभाग सदा पार्वतीजी से सुशोभित रहता है, जो नारायण के प्रिय और कामदेव के मद का नाश करने वाले हैं, उन काशीपति विश्वनाथ को भज॥

(Salutations to Sri Vishwanatha) Whose Matted Hair forming a Beautiful Bundle, is Beautifully decorated with the Streams of River Ganga,Whose Left-Half is always adorned by Devi Gauri (the Universal Shakti),Who is Dear to Sri Narayana, and Who has destroyed the Pride of Ananga (Kamadeva),Worship that Vishwanatha, Who is the Lord of the City of Kashi.

वाचामगोचरमनेकगुणस्वरूपं
वागीशविष्णुसुरसेवितपादपीठम्।
वामेन विग्रहवरेण कलत्रवन्तं।
वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम्॥२॥

vācāmagocaramanekaguṇasvarūpaṃ
vāgīśaviṣṇusurasevitapādapīṭham।
vāmena vigrahavareṇa kalatravantaṃ।
vārāṇasīpurapatiṃ bhaja viśvanātham॥2॥

वाणी द्वारा जिनका वर्णन नहीं हो सकता, जिनके अनेक गुण और अनेक स्वरूप हैं, ब्रह्मा, विष्णु और अन्य देवता जिनकी चरणपादुका का सेवन करते हैं, जो अपने सुन्दर वामांग के द्वारा ही सपत्नीक हैं, उन काशीपति विश्वनाथ को भज॥२॥

(Salutations to Sri Vishwanatha) Who is the embodiment of many Gunas (Divine Attributes) which are beyond the Speech,The Seat of Whose Divine Feet is served by Sri Brahma, Vishnu and Suras,Who, by the Beautiful-Form of His Left-Half is one with His Consort,Worship that Vishwanatha, Who is the Lord of the City of Kashi.

भूताधिपं भुजगभूषणभूषिताङ्गं
व्याघ्राजिनाम्बरधरं जटिलं त्रिनेत्रम्।
पाशाङ्कशाभयवरप्रदशूलपाणिं।
वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम्॥३॥

bhūtādhipaṃ bhujagabhūṣaṇabhūṣitāṅgaṃ
vyāghrājināmbaradharaṃ jaṭilaṃ trinetram।
pāśāṅkaśābhayavarapradaśūlapāṇiṃ।
vārāṇasīpurapatiṃ bhaja viśvanātham॥3॥

जो भूतों के अधिपति हैं, जिनका शरीर सर्परूपी गहनों से विभूषित है, जो बाघ की खाल का वस्त्र पहनते हैं, जिनके हाथों में पाश, अंकुश, अभय, वर और शूल हैं, उन जटाधारी त्रिनेत्र काशीपति विश्वनाथ को भज॥३॥

(Salutations to Sri Vishwanatha) Who is the Lord of the Beings and Whose Body is adorned with the ornaments of Serpents,Who wear the Skin of a Tiger as His Garment, Whose Hair is Matted and Who has Three Eyes,Who holds Pasha (Noose), Angkusha (Hook), grants Fearlessness and Boons, and holds His Trident in His Hand,Worship that Vishwanatha, Who is the Lord of the City of Kashi.

शीतांशुशोभितकिरीटविराजमानं
भालेक्षणानलविशोषितपञ्चबाणम्।
नागाधिपारचतभासुरकर्णपूरं।
वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम्॥४॥

śītāṃśuśobhitakirīṭavirājamānaṃ
bhālekṣaṇānalaviśoṣitapañcabāṇam।
nāgādhipāracatabhāsurakarṇapūraṃ।
vārāṇasīpurapatiṃ bhaja viśvanātham॥4॥

जो चन्द्रमा द्वारा प्रकाशित किरीट से शोभित हैं, जिन्होंने अपने भालस्थ नेत्र की अग्नि से कामदेव को दग्ध कर दिया, जिनके कानों में बड़े-बड़े साँपों के कुण्डल चमक रहे हैं, उन काशीपति विश्वनाथ को भज॥४॥

(Salutations to Sri Vishwanatha) The Shining Cool-Rayed Moon serves as Whose Diadem,The Fire of Whose (Third) Eye from the Forehead consumed the Five Arrows (of Kamdeva),The King of Serpents are Whose Shining Ear-Rings,Worship that Vishwanatha, Who is the Lord of the City of Kashi.

पञ्चाननं दुरितमत्तमतङ्गजानां
नागान्तकं दनुजपुङ्गवपन्नगानाम्।
दावानलं मरणशोकजराटवीनां।
वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम्॥५॥

pañcānanaṃ duritamattamataṅgajānāṃ
nāgāntakaṃ danujapuṅgavapannagānām।
dāvānalaṃ maraṇaśokajarāṭavīnāṃ।
vārāṇasīpurapatiṃ bhaja viśvanātham॥5॥

जो पापरूपी मतवाले हाथियों के मारने वाले सिंह हैं, दैत्यसमूहरूपी साँपों का नाश करने वाले गरुड़ हैं तथा जो मरण, शोक और बुढ़ापारूपी भीषण वन को जलाने वाले दावानल हैं, ऐसे काशीपति विश्वनाथ को भज॥५॥

(Salutations to Sri Vishwanatha) Who is like a Lion, subduing the Elephants of Sins and Passions (within us),Who is like a Garuda, slaying the Serpents of Daityas (Demons) (within us),Who is like a Forest Fire, burning the Forest of Sorrows of Death and Old Age (within us),Worship that Vishwanatha, Who is the Lord of the City of Kashi.

Shri Vishwanathashtakam Lyrics in Sanskrit with Hindi English Meaning

तेजोमयं सगुणनिर्गुणमद्वितीय
मानन्दकन्दमपराजितमप्रमेयम्।
नागात्मकं सकलनिष्कलमात्मरूपं।
वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम्॥६॥

tejomayaṃ saguṇanirguṇamadvitīya
mānandakandamaparājitamaprameyam।
nāgātmakaṃ sakalaniṣkalamātmarūpaṃ।
vārāṇasīpurapatiṃ bhaja viśvanātham॥6॥

जो तेजपूर्ण, सगुण, निर्गुण, अद्वितीय, आनन्दकन्द, अपराजित और अतुलनीय हैं, जो अपने शरीर पर साँपों को धारण करते हैं, जिनका रूप ह्रासवृद्धिरहित है, ऐसे आत्मस्वरूप काशीपति विश्वनाथ को भज॥६॥

(Salutations to Sri Vishwanatha) Who is filled with Spiritual Splendour (Tejomaya), Who can assume a form with Gunas (Qualities or Attributes) as well as abide as the Non-dual expanse beyond all Gunas (Qualities or Attributes),Whose essential nature overflows with Bliss which is Unsurpassed by anything and is beyond all Measures,Whose body is adorned with Serpents, and Whose essential nature is merged in Atman, Complete and Undivided (expanse of Chidakasha),Worship that Vishwanatha, Who is the Lord of the City of Kashi.

रागादिदोषरहितं स्वजनानुरागं
वैराग्यशान्तिनिलयं गिरिजासहायम्।
माधुर्यधैर्यसुभगं गरलाभिरामं।
वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम्॥७॥

rāgādidoṣarahitaṃ svajanānurāgaṃ
vairāgyaśāntinilayaṃ girijāsahāyam।
mādhuryadhairyasubhagaṃ garalābhirāmaṃ।
vārāṇasīpurapatiṃ bhaja viśvanātham॥7॥

जो रागादि दोषोंसे रहित हैं; अपने भक्तोंपर कृपा रखते हैं, वैराग्य और शान्तिके स्थान हैं, पार्वतीजी सदा जिनके साथ रहती हैं, जो धीरता और मधुर स्वभावसे सुन्दर जान पड़ते हैं तथा जो कण्ठमें गरलके चिह्नसे सुशोभित हैं, उन काशीपति विश्वनाथको भज॥७॥

Salutations to Sri Vishwanatha) Who is free from all vices like Raga (Passion) and others, and Who is graceful to the Devotees,Who is an abode of Peace born of Vairagya (freedom from Worldly Desires), and Whose Companion is Devi Girija (the Universal Shakti),Who exhibits the Sweetness of Patience, Whose presence is Auspicious, and Whose Throat is beautifully adorned with the mark of Poison,Worship that Vishwanatha, Who is the Lord of the City of Kashi.

आशां विहाय परिहृत्य परस्य निन्दा
पापे रतिं च सुनिवार्य मनः समाधौ।
आदाय हृत्कमलमध्यगतं परेशं।
वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम्॥८॥

āśāṃ vihāya parihṛtya parasya nindā
pāpe ratiṃ ca sunivārya manaḥ samādhau।
ādāya hṛtkamalamadhyagataṃ pareśaṃ।
vārāṇasīpurapatiṃ bhaja viśvanātham॥8॥

सब आशाओं को छोड़कर, दूसरों की निन्दा त्यागकर और पाप-कर्म से अनुराग हटाकर, चित्त को समाधि में लगाकर, हृदयकमल में प्रकाशमान परमेश्वर काशीपति विश्वनाथ को भज॥८॥

Salutations to Sri Vishwanatha) Who is free from all vices like Raga (Passion) and others, and Who is graceful to the Devotees,Who is an abode of Peace born of Vairagya (freedom from Worldly Desires), and Whose Companion is Devi Girija (the Universal Shakti),Who exhibits the Sweetness of Patience, Whose presence is Auspicious, and Whose Throat is beautifully adorned with the mark of Poison,Worship that Vishwanatha, Who is the Lord of the City of Kashi.

वाराणसीपुरपतेः स्तवनं शिवस्य
व्याख्यातमष्टकमिदं पठते मनुष्यः।
विद्यां श्रियं विपुलसौख्यमनन्तकीर्ति
सम्प्राप्य देहविलये लभते च मोक्षम्॥९॥

vārāṇasīpurapateḥ stavanaṃ śivasya
vyākhyātamaṣṭakamidaṃ paṭhate manuṣyaḥ।
vidyāṃ śriyaṃ vipulasaukhyamanantakīrti
samprāpya dehavilaye labhate ca mokṣam॥9॥

जो मनुष्य काशीपति शिव के इस आठ श्लोकों के स्तवन का पाठ करता है, वह विद्या, धन, प्रचुर सौख्य और अनन्त कीर्ति प्राप्तकर देहावसान होने पर मोक्ष भी प्राप्त कर लेता है॥९॥

(Salutations to Sri Vishwanatha) The Stava (Eulogy, Praise) of Shiva, the Lord of the City of Varanasi,the Exposition of this Ashtakam (Hymn of Eight Verses), those Persons who recite,Vidya (Learning, Knowledge), Sriya (Prosperity), abundant Joy and endless fame will be attained by them; and after their body falls (after death), they will attain Liberation.

विश्वनाथाष्टकमिदं यः पठेच्छिवसन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥१०॥

viśvanāthāṣṭakamidaṃ yaḥ paṭhecchivasannidhau।
śivalokamavāpnoti śivena saha modate॥10॥

जो शिव के समीप इस विश्वनाथाष्टक का पाठ करता है, वह शिवलोक प्राप्त करता और शिव के साथ आनन्दित होता है॥ १० ॥

इति श्रीमहर्षिव्यासप्रणीतं श्रीविश्वनाथाष्टकं सम्पूर्णम्।


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Shivangi

शिवांगी RamCharit.in को समृद्ध बनाने के लिए जनवरी 2019 से कर्मचारी के रूप में कार्यरत हैं। यह इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी में स्नातक एवं MBA (Gold Medalist) हैं। तकनीकि आधारित संसाधनों के प्रयोग से RamCharit.in पर गुणवत्ता पूर्ण कंटेंट उपलब्ध कराना इनकी जिम्मेदारी है जिसे यह बहुत ही कुशलता पूर्वक कर रही हैं।

One thought on “श्री विश्वनाथाष्टकम् संस्कृत हिंदी अंग्रेजी अर्थ सहित | Shri Vishwanathashtakam Lyrics in Sanskrit Hindi English

  • Akash

    Here and hereafter Shivam 🙏

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