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श्रीमद्भागवतपुराणम् श्रीस्कान्दे माहात्म्यम्

श्रीमद्भागवतपुराणम् श्रीस्कान्दे समाप्तमिदं माहात्म्यम्

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||समाप्तमिदं श्रीमद्भागवतमाहात्म्यम् ।।
|हरिः ॐ तत्सत् ।।

श्रीमद्भागवत-पाठके विभिन्न प्रयोग ।
भागवत-महिमा
आधा श्लोक या चौथाई श्लोकका भी नित्य जो मनुष्य पाठ करता है, उसकी भी संसारसे मुक्ति हो जाती है; फिर सम्पूर्ण पाठ करनेवालेकी तो बात ही क्या है।बुद्धिमानोंकी बुद्धिमत्ता यही है कि संसारभयनाशक श्रीमद्भागवतका आदरपूर्वक यथाशक्ति पाठ करे।यदि नित्य पाठ न कर सकता हो तो महीने या वर्षमें एक बार नियमपूर्वक भक्तिसहित भागवतका पाठ अवश्य करना चाहिये।जो एक दिनमें पाठ न कर सकता हो वह दो, तीन, पाँच, छः, सात, दस, पंद्रह, तीस या साठ दिनमें श्रीमद्भागवतका पाठ करे। इससे भोग एवं मोक्ष दोनोंकी प्राप्ति होती है।बहुत-से ऋषियोंने सप्ताहपारायणका भी उत्तम पक्ष माना है। केवल भगवान्की प्रीतिके लिये सम्पूर्ण पक्ष बराबर हैं। कोई न्यूनाधिक नहीं हैं। फल चाहने-वालोंके लिये फलभेदसे पारायणभेद कहा गया है।


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Shweta Srinet

गरिमा जी संस्कृत भाषा में परास्नातक एवं राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण हैं। यह RamCharit.in हेतु 2018 से सतत पूर्णकालिक सदस्य के रूप में कार्य कर रही हैं। धार्मिक ग्रंथों को उनके मूल आध्यात्मिक रूप में सरलता से उपलब्ध कराने का कार्य इसके द्वारा ही निष्पादित होता है।

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