सुकृति संभु तन बिमल बिभूती।…किएँ तिलक गुन गन बस करनी।।
सुकृति संभु तन बिमल बिभूती। मंजुल मंगल मोद प्रसूती॥
जन मन मंजु मुकुर मल हरनी। किएँ तिलक गुन गन बस करनी॥BA000CH02
सुकृति : सुन्दर कर्म करने वाला
शम्भु : “स्वयं भुव” का अपभ्रंस |स्वजन्मा भगवान “शिव”
विभूति : यज्ञशाला की भस्म
मोद : आनंद
प्रसूती : जननी या जन्म देने वाली माता
मुकुर : दर्पण
गन : समूह,गण
भावार्थ: वह रज सुकृति (पुण्यवान् पुरुष) रूपी शिवजी के शरीर पर सुशोभित निर्मल विभूति है और सुंदर कल्याण और आनन्द की जननी है, भक्त के मन रूपी सुंदर दर्पण के मैल को दूर करने वाली और तिलक करने से गुणों के समूह को वश में करने वाली है |
संस्कृतम :
English :
sukṛti saṃbhu tana bimala bibhūtī. maṃjula maṃgala mōda prasūtī..
jana mana maṃju mukura mala haranī. kiēom tilaka guna gana basa karanī..
Purport : It adorns the body of a lucky person even as white ashes beautify the person of God Shiva, and brings forth sweet blessings and joys. It rubs the dirt off the beautiful mirror in the shape of the devotee’s heart; when applied to the forehead in the form of Tilaka (a religious mark), it attracts a host of virtues.
বাংলা (Bangla):
সুকৃতি সংভু তন বিমল বিভূতী৷ মংজুল মংগল মোদ প্রসূতী৷৷
জন মন মংজু মুকুর মল হরনী৷ কিএতিলক গুন গন বস করনী৷৷
ગુજરાતી (Gujarati):
સુકૃતિ સંભુ તન બિમલ બિભૂતી। મંજુલ મંગલ મોદ પ્રસૂતી।।
જન મન મંજુ મુકુર મલ હરની। કિએતિલક ગુન ગન બસ કરની।।
ಕನ್ನಡ (Kannada) :
ಸುಕೃತಿ ಸಂಭು ತನ ಬಿಮಲ ಬಿಭೂತೀ. ಮಂಜುಲ ಮಂಗಲ ಮೋದ ಪ್ರಸೂತೀ..
ಜನ ಮನ ಮಂಜು ಮುಕುರ ಮಲ ಹರನೀ. ಕಿಏತಿಲಕ ಗುನ ಗನ ಬಸ ಕರನೀ..
മലയാളം (Malayalam):
സുകൃതി സംഭു തന ബിമല ബിഭൂതീ. മംജുല മംഗല മോദ പ്രസൂതീ..
ജന മന മംജു മുകുര മല ഹരനീ. കിഏതിലക ഗുന ഗന ബസ കരനീ..
ଓଡ଼ିଆ (Oriya):
ସୁକୃତି ସଂଭୁ ତନ ବିମଲ ବିଭୂତୀ| ମଂଜୁଲ ମଂଗଲ ମୋଦ ପ୍ରସୂତୀ||
ଜନ ମନ ମଂଜୁ ମୁକୁର ମଲ ହରନୀ| କିଏତିଲକ ଗୁନ ଗନ ବସ କରନୀ||
ਪੰਜਾਬੀ (Punjabi):
ਸੁਕਰਿਤਿ ਸਂਭੁ ਤਨ ਬਿਮਲ ਬਿਭੂਤੀ। ਮਂਜੁਲ ਮਂਗਲ ਮੋਦ ਪ੍ਰਸੂਤੀ।।
ਜਨ ਮਨ ਮਂਜੁ ਮੁਕੁਰ ਮਲ ਹਰਨੀ। ਕਿਏਤਿਲਕ ਗੁਨ ਗਨ ਬਸ ਕਰਨੀ।।
தமிழ்(Tamil):
ஸுகரிதி ஸஂபு தந பிமல பிபூதீ. மஂஜுல மஂகல மோத ப்ரஸூதீ..
ஜந மந மஂஜு முகுர மல ஹரநீ. கிஏதிலக குந கந பஸ கரநீ..
తెలుగు(Telugu):
సుకృతి సంభు తన బిమల బిభూతీ. మంజుల మంగల మోద ప్రసూతీ..
జన మన మంజు ముకుర మల హరనీ. కిఏతిలక గున గన బస కరనీ..
Deutsch :
Español:
Italiano :
Français :
日本人(Japanese):
:(Arabic)العربية
एक एव अद्वैत जो, परमात्मा जगदीश। जन कारण तनु धारिवर, जत जय सद्गुरु इश। मनहु अपर बिराजहीं, रघुपति गुरु मुनिश। ज्ञान दान नित देत वर, जय जय सद्गुरु इश।। पूरन काम निष्काम मति, समजही रंक महिश। ज्ञान भान मतिमान अतिं, जय जय सद्गुरु इश।। सदा विचारत लक्ष जो, तजी भ्रम इश अनिश। पुनि पुनि भासत शिष्य प्रति, जय जय सद्गुरु इश।। दाता ज्यों निज मुक्ति के, करुणा करका शिष। शरण हरन भव भीति भल; जय जय सद्गुरु इश।। मोक्ष कायो ज्यों ग्राहते, हरि तत्काल करीश। किनो बंध विच्छेद मम, जय जय सद्गुरुइश।। निगमागम जेही गावही, मन पर कहत मुनिश। सोई लखावत लक्ष जो, जय जय सद्गुरु इश।। निजानंद निमग्न जो, वरवरियान वरीश। जगमंगल कर ………..ग, जय जय सद्गुरुइश।।