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उघरहिं बिमल बिलोचन ही के। मिटहिं दोष दुख भव रजनी के॥

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chaupyi

उघरहिं बिमल बिलोचन ही के। मिटहिं दोष दुख भव रजनी के॥
सूझहिं राम चरित मनि मानिक। गुपुत प्रगट जहँ जो जेहि खानिक॥BA000CH04

उघरहिं : खुल जाते है
बिमल : निर्मल
बिलोचन : नेत्र
रजनी : संसार रूपी रात्रि
सूझहिं : दिखायी देना
मनि मानिक :मणि और माणिक्य
गुपुत : गुप्त
खानिक : खान

भावार्थ:
उसके हृदय में आते ही हृदय के निर्मल नेत्र खुल जाते हैं और संसार रूपी रात्रि के दोष-दुःख मिट जाते हैं एवं श्री रामचरित्र रूपी मणि और माणिक्य, गुप्त और प्रकट जहाँ जो जिस खान में है, सब दिखाई पड़ने लगते हैं-॥

English :


ugharahiṃ bimala bilōcana hī kē.miṭahiṃ dōṣa dukha bhava rajanī kē.
sūjhahiṃ rāma carita mani mānika.guputa pragaṭa jahaom jō jēhi khānika.

संस्कृतम :

उघरहिं बिमल बिलोचन ही के। मिटहिं दोष दुख भव रजनी के॥
सूझहिं राम चरित मनि मानिक। गुपुत प्रगट जहँ जो जेहि खानिक॥

বাংলা :

উঘরহিং বিমল বিলোচন হী কে৷ মিটহিং দোষ দুখ ভব রজনী কে৷৷
সূঝহিং রাম চরিত মনি মানিক৷ গুপুত প্রগট জহজো জেহি খানিক৷৷

ગુજરાતી

ઉઘરહિં બિમલ બિલોચન હી કે। મિટહિં દોષ દુખ ભવ રજની કે।।
સૂઝહિં રામ ચરિત મનિ માનિક। ગુપુત પ્રગટ જહજો જેહિ ખાનિક।।

ಕನ್ನಡ

ಉಘರಹಿಂ ಬಿಮಲ ಬಿಲೋಚನ ಹೀ ಕೇ. ಮಿಟಹಿಂ ದೋಷ ದುಖ ಭವ ರಜನೀ ಕೇ..
ಸೂಝಹಿಂ ರಾಮ ಚರಿತ ಮನಿ ಮಾನಿಕ. ಗುಪುತ ಪ್ರಗಟ ಜಹಜೋ ಜೇಹಿ ಖಾನಿಕ..

മലയാളം

ഉഘരഹിം ബിമല ബിലോചന ഹീ കേ. മിടഹിം ദോഷ ദുഖ ഭവ രജനീ കേ..
സൂഝഹിം രാമ ചരിത മനി മാനിക. ഗുപുത പ്രഗട ജഹജോ ജേഹി ഖാനിക..

ଓଡ଼ିଆ

ଉଘରହିଂ ବିମଲ ବିଲୋଚନ ହୀ କେ| ମିଟହିଂ ଦୋଷ ଦୁଖ ଭବ ରଜନୀ କେ||
ସୂଝହିଂ ରାମ ଚରିତ ମନି ମାନିକ| ଗୁପୁତ ପ୍ରଗଟ ଜହଜୋ ଜେହି ଖାନିକ||

ਪੰਜਾਬੀ

ਉਘਰਹਿਂ ਬਿਮਲ ਬਿਲੋਚਨ ਹੀ ਕੇ। ਮਿਟਹਿਂ ਦੋਸ਼ ਦੁਖ ਭਵ ਰਜਨੀ ਕੇ।।
ਸੂਝਹਿਂ ਰਾਮ ਚਰਿਤ ਮਨਿ ਮਾਨਿਕ। ਗੁਪੁਤ ਪ੍ਰਗਟ ਜਹਜੋ ਜੇਹਿ ਖਾਨਿਕ।।

தமிழ்

உகரஹிஂ பிமல பிலோசந ஹீ கே. மிடஹிஂ தோஷ துக பவ ரஜநீ கே..
ஸூ஀ஹிஂ ராம சரித மநி மாநிக. குபுத ப்ரகட ஜஹஜோ ஜேஹி காநிக..

తెలుగు

ఉఘరహిం బిమల బిలోచన హీ కే. మిటహిం దోష దుఖ భవ రజనీ కే..
సూఝహిం రామ చరిత మని మానిక. గుపుత ప్రగట జహజో జేహి ఖానిక..

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