वाल्मीकि रामायण बालकाण्ड श्लोक हिंदी अर्थ सहित | Valmiki Ramayana BalaKanda with Hindi Meaning
वाल्मीकि रामायण बालकाण्ड श्लोक हिंदी अर्थ सहित
Valmiki Ramayana BalaKanda with Hindi Meaning
काण्ड परिचय:
बालकाण्डे तु सर्गाणां कथिता सप्तसप्तति:।
श्लोकानां द्वे सहस्त्रे च साशीति शतकद्वयम्॥
उपरोक्त श्लोकानुसार बालकाण्ड में 77 सर्ग में कुल 2280 श्लोक प्राप्त होते हैं। वाल्मीकि रामायण के बालकाण्ड में प्रथम सर्ग ‘मूलरामायण’ के नाम से प्रख्यात है। इसमें नारद से वाल्मीकि संक्षेप में सम्पूर्ण रामकथा का श्रवण करते हैं। द्वितीय सर्ग में क्रौञ्चमिथुन का प्रसंग और प्रथम आदिकाव्य की पक्तियाँ ‘मा निषाद’ का वर्णन है। तृतीय सर्ग में रामायण के विषय तथा चतुर्थ में रामायण की रचना तथा लव कुश के गान हेतु आज्ञापित करने का प्रसंग वर्णित है।
इसके पश्चात् रामायण की मुख्य विषयवस्तु का प्रारम्भ अयोध्या के वर्णन से होता है। दशरथ का यज्ञ, तीन रानियों से चार पुत्रों का जन्म, विश्वामित्र का राम-लक्ष्मण को ले जाकर बला तथा अतिबला विद्याएँ प्रदान करना, राक्षसों का वध, जनक के धनुष यज्ञ में जाकर सीता का विवाह आदि वृत्तांत वर्णित हैं। आइये पढ़ते हैं विस्तार से;
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सर्ग एवं विषय:
सर्ग 1: नारदजी का वाल्मीकि को संक्षेप से श्रीरामचरित्र सुनाना
सर्ग 2: तमसा तट पर क्रौंचवध की घटना से शोक संतप्त वाल्मीकि को ब्रह्मा द्वारा रामचरित्रमय काव्य लेखन का आदेश
सर्ग 3: वाल्मीकि मुनि द्वारा रामायण काव्य में निबद्ध विषयों का संक्षेप से उल्लेख
सर्ग 5: राजा दशरथ द्वारा सुरक्षित अयोध्यापुरी का वर्णन
सर्ग 6: राजा दशरथ के शासनकाल में अयोध्या और वहाँ के नागरिकों की उत्तम स्थिति का वर्णन
सर्ग 7: राजमन्त्रियों के गुण और नीति का वर्णन
सर्ग 8: राजा दशरथ का पुत्र के लिये अश्वमेधयज्ञ का प्रस्ताव और मन्त्रियों तथा ब्राह्मणों द्वारा उनका अनुमोदन
सर्ग 9: सुमन्त्र का दशरथ को ऋष्यशृंग मुनि को बुलाने की सलाह और शान्ता से विवाह का प्रसंग सुनाना
सर्ग 10: अंगदेश में ऋष्यश्रृंग के आने तथा शान्ता के साथ विवाह होने के प्रसंग का विस्तार के साथ वर्णन
सर्ग 11: राजा दशरथ का सपरिवार अंगराज के यहाँ जाकर वहाँ से शान्ता और ऋष्यश्रृंग को अपने घर ले आना
सर्ग 12: ऋषियों का दशरथ को और दशरथ का मन्त्रियों को यज्ञ की आवश्यक तैयारी करने के लिये आदेश देना
सर्ग 14: महाराज दशरथ के द्वारा अश्वमेध यज्ञ का सांगोपांग अनुष्ठान
सर्ग 15: ऋष्यशृंग द्वारा राजा दशरथ के पुत्रेष्टि यज्ञ का आरम्भ, ब्रह्माजी का रावण के वध का उपाय ढूँढ़ निकालना
सर्ग 17: ब्रह्माजी की प्रेरणा से देवता आदि के द्वारा विभिन्न वानरयूथपतियों की उत्पत्ति
सर्ग 19: विश्वामित्र के मुख से श्रीराम को साथ ले जाने की माँग सुनकर राजा दशरथ का दुःखित एवं मूर्च्छित होना
सर्ग 20: राजा दशरथ का विश्वामित्र को अपना पुत्र देने से इनकार करना और विश्वामित्र का कुपित होना
सर्ग 21: विश्वामित्र के रोषपूर्ण वचन तथा वसिष्ठ का राजा दशरथ को समझाना
सर्ग 23: विश्वामित्र सहित श्रीराम और लक्ष्मण का सरयू-गंगा संगम के समीप पुण्य आश्रम में रात को ठहरना
सर्ग 26: श्रीराम द्वारा ताटका का वध
सर्ग 27: विश्वामित्र द्वारा श्रीराम को दिव्यास्त्र
सर्ग 30: श्रीराम द्वारा विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा तथा राक्षसों का संहार
सर्ग 32: ब्रह्मपुत्र कुश पुत्रों का वर्णन, कुशनाभ की सौ कन्याओंका वायु के कोप से ‘कुब्जा’ होना
सर्ग 34: गाधि की उत्पत्ति, कौशिकी की प्रशंसा
सर्ग 35: विश्वामित्र आदि का गंगाजी के तटपर रात्रिवास करना, गंगाजी की उत्पत्ति की कथा
सर्ग 36: देवताओं का शिव-पार्वती को सुरतक्रीडा से निवृत्त करना तथा उमादेवी का देवताओं और पृथ्वी को शाप देना
सर्ग 37: गंगा से कार्तिकेय की उत्पत्ति का प्रसंग
सर्ग 38: राजा सगर के पुत्रों की उत्पत्ति तथा यज्ञ की तैयारी
सर्ग 39: इन्द्र के द्वारा राजा सगर के यज्ञ सम्बन्धी अश्व का अपहरण, सगरपुत्रों द्वारा सारी पृथ्वी का भेदन
सर्ग 40: सगर के पुत्रों का पृथ्वी को खोदते हुए कपिलजी के पास पहुँचना और उनके रोष से जलकर भस्म होना
सर्ग 41: सगर की आज्ञा से अंशुमान् का रसातल में जाकर घोड़े को ले आना और अपने चाचाओं के निधन का समाचार सुनाना
सर्ग 42: ब्रह्माजी का भगीरथ को अभीष्ट वर देना, गंगा जी को धारण करनेके लिये भगवान् शङ्कर को राजी करना
सर्ग 43: भगीरथ की तपस्या, भगवान् शङ्कर का गंगा को अपने सिर पर धारण करना, भगीरथ के पितरों का उद्धार
सर्ग 44: ब्रह्माजी का भगीरथ को पितरों के तर्पण की आज्ञा देना, गंगावतरण के उपाख्यान की महिमा
सर्ग 49: इन्द्र को भेड़े के अण्डकोष से युक्त करना,भगवान् श्रीराम के द्वारा अहल्या का उद्धार
सर्ग 52: महर्षि वसिष्ठ द्वारा विश्वामित्र का सत्कार और कामधेनु को अभीष्ट वस्तुओं की सृष्टि करने का आदेश
सर्ग 53: विश्वामित्र का वसिष्ठ से उनकी कामधेनु को माँगना और उनका देने से अस्वीकार करना
सर्ग 62: विश्वामित्र द्वारा शुनःशेप की रक्षा का सफल प्रयत्न और तपस्या
सर्ग 64: विश्वामित्र का रम्भा को शाप देकर पुनः घोर तपस्या के लिये दीक्षा लेना
सर्ग 68: राजा जनक का संदेश पाकर मन्त्रियों सहित महाराज दशरथ का मिथिला जाने के लिये उद्यत होना
सर्ग 69: दल-बलसहित राजा दशरथ की मिथिला-यात्रा और वहाँ राजा जनक के द्वारा उनका स्वागत-सत्कार
सर्ग 73: श्रीराम आदि चारों भाइयों का विवाह
सर्ग 75: राजा दशरथ की बात अनसुनी करके परशुराम का श्रीराम को वैष्णव-धनुष पर बाण चढ़ाने के लिये ललकारना
सर्ग 77: राजा दशरथ का पुत्रों और वधुओं के साथ अयोध्या में प्रवेश, सीता और श्रीराम का पारस्परिक प्रेम
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Friend, Balmiki Ramayana-Balakanda-Sarga-56 Not Found Please Check And Have Possible So Update..
This has been resolved now! thanks to find this issue.
Jai SiyaRam!
So far so good. Will write the full comment after reading the Ramayan in full.
My comments will be incomplete at this stage. So far, everything looks to be good. However, I will write more about whole work after reading the Ramayan.
Sitapur Uttar Pradesh
श्री राम लक्ष्मण भरत शत्रुघन के साथ मिथला मे क्या अन्य कन्याओ का विवाह हुआ था जानकारी हो सके तो अवगत कराये की और कितनी कन्याओ का विवाह राजा जनक ने कराया था ,जय श्री राम
महोदय 🙏।
इस सराहनीय प्रयास के लिए हार्दिक धन्यवाद।
कहीं-कहीं लिखालट में त्रुटियाँ हैं, विशेषतः हिंदी अनुवाद में।
किसी-किसी सर्ग में अधिक ही हैं।
निवेदन है, यथासंभव सुधारने की कृपा करें।
धन्यवाद।🙏।
Kripaya Batayen, sudhar kiya jayega
I read want to a ramayan
महोदय/महोदया,
मैं दुबारा से बालकांड में से श्री राम और सीता के विवाह के समय की आयु ढूंढ रहा था। मुझे केवल दो स्थान पर कुछ संदर्भ मिला है:
1. 20/2 राजा दशरथ विश्वामित्र जी से कहते हैं कि मेरा राम अभी 16 वर्ष का नहीं हुआ है।
2. 67/13-14 जनक जी कहते हैं कि ‘सीता सयानी हो गयी है’।
यदि आप में से किसी को और कोई संदर्भ पता हो तो कृपया बताने की कृपा करे।
धन्यवाद
वीरेंद्र