अधम ते अधम अधम अति नारी। तिन्ह महँ मैं मतिमंद अघारी॥ कह रघुपति सुनु भामिनि बाता। मानउँ एक भगति कर नाता॥2॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
तृतीय सोपान | Descent Third
श्री अरण्यकाण्ड | Shri Aranya-Kand
चौपाई :
अधम ते अधम अधम अति नारी। तिन्ह महँ मैं मतिमंद अघारी॥
कह रघुपति सुनु भामिनि बाता। मानउँ एक भगति कर नाता॥2॥
भावार्थ:
जो अधम से भी अधम हैं, स्त्रियाँ उनमें भी अत्यंत अधम हैं, और उनमें भी हे पापनाशन! मैं मंदबुद्धि हूँ। श्री रघुनाथजी ने कहा- हे भामिनि! मेरी बात सुन! मैं तो केवल एक भक्ति ही का संबंध मानता हूँ॥2॥
English :
IAST :
Meaning :