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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

आपु छोटि महिमा बड़ि जानी। कबिकुल कानि मानि सकुचानी॥ कहि न सकति गुन रुचि अधिकाई। मति गति बाल बचन की नाई॥4॥

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श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
द्वितीय सोपान | Descent Second
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चौपाई

आपु छोटि महिमा बड़ि जानी। कबिकुल कानि मानि सकुचानी॥
कहि न सकति गुन रुचि अधिकाई। मति गति बाल बचन की नाई॥4॥

भावार्थ:

परन्तु वह बुद्धि अपने को छोटी और भरतजी की महिमा को बड़ी जानकर कवि परम्परा की मर्यादा को मानकर सकुचा गई (उसका वर्णन करने का साहस नहीं कर सकी)। उसकी गुणों में रुचि तो बहुत है, पर उन्हें कह नहीं सकती। बुद्धि की गति बालक के वचनों की तरह हो गई (वह कुण्ठित हो गई)!॥4॥

 

    English :

 

 

IAST :

 

 

Meaning :


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Shiv

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