आयसु पाइ राखि उर रामहि। मुदित गए सब निज निज धामहि॥ पुर नर नारि सकल पहिराए। घर घर बाजन लगे बधाए॥3॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kand
आयसु पाइ राखि उर रामहि। मुदित गए सब निज निज धामहि॥
पुर नर नारि सकल पहिराए। घर घर बाजन लगे बधाए॥3॥
भावार्थ:
आज्ञा पाकर, श्री रामजी को हृदय में रखकर वे सब आनंदित होकर अपने-अपने घर गए। नगर के समस्त स्त्री-पुरुषों को राजा ने कपड़े और गहने पहनाए। घर-घर बधावे बजने लगे॥3॥
English :
IAST :
Meaning :