उद्भवस्थितिसंहारकारिणीं क्लेशहारिणीम्। सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोऽहं रामवल्लभाम्॥5॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
श्लोक 5 | śloka 5
उद्भवस्थितिसंहारकारिणीं क्लेशहारिणीम्।
सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोऽहं रामवल्लभाम्॥5॥
udbhavasthitisanhaarakaarineen kleshahaarineem.
sarvashreyaskareen seetaan natohan raamavallabhaam.5.
भावार्थ:-उत्पत्ति, स्थिति (पालन) और संहार करने वाली, क्लेशों को हरने वाली तथा सम्पूर्ण कल्याणों को करने वाली श्री रामचन्द्रजी की प्रियतमा श्री सीताजी को मैं नमस्कार करता हूँ॥5॥
udbhavasthitisaṃhārakāriṇīṃ klēśahāriṇīm.
sarvaśrēyaskarīṃ sītāṃ natō.haṃ rāmavallabhām..5..
I bow to Sita the beloved consort of Sri Rama, who is responsible for the creation, sustenance and dissolution (of the universe), removes afflictions and begets all blessings.(5)