एक बार अतिसय सब चरित किए रघुबीर। सुमिरत प्रभु लीला सोइ पुलकित भयउ सरीर॥ 75 ख॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
सप्तमः सोपानः | Descent 7th
श्री उत्तरकाण्ड | Shri Uttara Kanda
चौपाई :
एक बार अतिसय सब चरित किए रघुबीर।
सुमिरत प्रभु लीला सोइ पुलकित भयउ सरीर॥ 75 ख॥
भावार्थ:
एक बार श्री रघुवीर ने सब चरित्र बहुत अधिकता से किए। प्रभु की उस लीला का स्मरण करते ही काकभुशुण्डिजी का शरीर (प्रेमानन्दवश) पुलकित हो गया॥ 75 (ख)॥
IAST :
Meaning :