एहि बिधि भूप कष्ट अति थोरें। होइहहिं सकल बिप्र बस तोरें॥ करिहहिं बिप्र होममख सेवा। तेहिं प्रसंग सहजेहिं बस देवा॥1॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kand
एहि बिधि भूप कष्ट अति थोरें। होइहहिं सकल बिप्र बस तोरें॥
करिहहिं बिप्र होममख सेवा। तेहिं प्रसंग सहजेहिं बस देवा॥1॥
भावार्थ:
हे राजन्! इस प्रकार बहुत ही थोड़े परिश्रम से सब ब्राह्मण तुम्हारे वश में हो जाएँगे। ब्राह्मण हवन, यज्ञ और सेवा-पूजा करेंगे, तो उस प्रसंग (संबंध) से देवता भी सहज ही वश में हो जाएँगे॥1॥
English :
IAST :
Meaning :