खल परिहास होइ हित मोरा। काक कहहिं कलकंठ कठोरा॥ हंसहि बक दादुर चातकही। हँसहिं मलिन खल बिमल बतकही॥1॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 8.1| Caupāī 8.1
खल परिहास होइ हित मोरा।
काक कहहिं कलकंठ कठोरा॥
हंसहि बक दादुर चातकही। हँसहिं मलिन खल बिमल बतकही॥1॥
भावार्थ:-किन्तु दुष्टों के हँसने से मेरा हित ही होगा। मधुर कण्ठ वाली कोयल को कौए तो कठोर ही कहा करते हैं। जैसे बगुले हंस को और मेंढक पपीहे को हँसते हैं, वैसे ही मलिन मन वाले दुष्ट निर्मल वाणी को हँसते हैं॥1॥
khala parihāsa hōi hita mōrā. kāka kahahiṃ kalakaṃṭha kaṭhōrā..
haṃsahi baka dādura cātakahī. haomsahiṃ malina khala bimala batakahī..
The laughter of the evil-minded will benefit me; crows call the cuckoo hoarse. Herons ridicule the swan, frogs make fun of the Cataka bird and malicious rogues deride refined speech.