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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

चितव जो लोचन अंगुलि लाएँ। प्रगट जुगल ससि तेहि के भाएँ॥ उमा राम बिषइक अस मोहा। नभ तम धूम धूरि जिमि सोहा॥2॥

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चौपाई :

चितव जो लोचन अंगुलि लाएँ। प्रगट जुगल ससि तेहि के भाएँ॥
उमा राम बिषइक अस मोहा। नभ तम धूम धूरि जिमि सोहा॥2॥

भावार्थ:

जो मनुष्य आँख में अँगुली लगाकर देखता है, उसके लिए तो दो चन्द्रमा प्रकट (प्रत्यक्ष) हैं। हे पार्वती! श्री रामचन्द्रजी के विषय में इस प्रकार मोह की कल्पना करना वैसा ही है, जैसा आकाश में अंधकार, धुएँ और धूल का सोहना (दिखना)। (आकाश जैसे निर्मल और निर्लेप है, उसको कोई मलिन या स्पर्श नहीं कर सकता, इसी प्रकार भगवान श्री रामचन्द्रजी नित्य निर्मल और निर्लेप हैं।) ॥2॥

 

    English :

 

 

IAST :

 

 

Meaning :


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