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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मासपारायण पाठ

जनक राम गुर आयसु पाई। चले थलहि सिय देखी आई॥ लीन्हि लाइ उर जनक जानकी। पाहुनि पावन प्रेम प्रान की॥2॥

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श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
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चौपाई

जनक राम गुर आयसु पाई। चले थलहि सिय देखी आई॥
लीन्हि लाइ उर जनक जानकी। पाहुनि पावन प्रेम प्रान की॥2॥

भावार्थ:

जनकजी श्री रामजी के गुरु वशिष्ठजी की आज्ञा पाकर डेरे को चले और आकर उन्होंने सीताजी को देखा। जनकजी ने अपने पवित्र प्रेम और प्राणों की पाहुनी जानकीजी को हृदय से लगा लिया॥2॥

 

    English :

 

 

IAST :

 

 

Meaning :


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Shiv

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