जम गन मुहँ मसि जग जमुना सी। जीवन मुकुति हेतु जनु कासी॥ रामहि प्रिय पावनि तुलसी सी। तुलसिदास हित हियँ हुलसी सी॥6॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 30.6| |Caupāī 30.6
जम गन मुहँ मसि जग जमुना सी। जीवन मुकुति हेतु जनु कासी॥
रामहि प्रिय पावनि तुलसी सी। तुलसिदास हित हियँ हुलसी सी॥6॥
भावार्थ:-यमदूतों के मुख पर कालिख लगाने के लिए यह जगत में यमुनाजी के समान है और जीवों को मुक्ति देने के लिए मानो काशी ही है। यह श्री रामजी को पवित्र तुलसी के समान प्रिय है और तुलसीदास के लिए हुलसी (तुलसीदासजी की माता) के समान हृदय से हित करने वाली है॥6॥
jama gana muhaom masi jaga jamunā sī. jīvana mukuti hētu janu kāsī..
rāmahi priya pāvani tulasī sī. tulasidāsa hita hiyaom hulasī sī..
Like the sacred river Yamuna in this world it scares away the messengers of Yama (the god of death). It is holy Kasi as it were for the liberation of souls. It is dear to Rama as the sacred basil plant and is truly beneficent to Tulasidasa as his own mother, Hulasi.