जसि रघुबीर ब्याह बिधि बरनी। सकल कुअँर ब्याहे तेहिं करनी॥ कहि न जा कछु दाइज भूरी। रहा कनक मनि मंडपु पूरी॥1॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kand
जसि रघुबीर ब्याह बिधि बरनी। सकल कुअँर ब्याहे तेहिं करनी॥
कहि न जा कछु दाइज भूरी। रहा कनक मनि मंडपु पूरी॥1॥
भावार्थ:
श्री रामचन्द्रजी के विवाह की जैसी विधि वर्णन की गई, उसी रीति से सब राजकुमार विवाहे गए। दहेज की अधिकता कुछ कही नहीं जाती, सारा मंडप सोने और मणियों से भर गया॥1॥
English :
IAST :
Meaning :