जानी सियँ बरात पुर आई। कछु निज महिमा प्रगटि जनाई॥ हृदयँ सुमिरि सब सिद्धि बोलाईं। भूप पहुनई करन पठाईं॥4॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kand
जानी सियँ बरात पुर आई। कछु निज महिमा प्रगटि जनाई॥
हृदयँ सुमिरि सब सिद्धि बोलाईं। भूप पहुनई करन पठाईं॥4॥
भावार्थ:
सीताजी ने बारात जनकपुर में आई जानकर अपनी कुछ महिमा प्रकट करके दिखलाई। हृदय में स्मरणकर सब सिद्धियों को बुलाया और उन्हें राजा दशरथजी की मेहमानी करने के लिए भेजा॥4॥
English :
IAST :
Meaning :