RamCharitManas (RamCharit.in)

इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

जुगुति सुनत रावन मुसुकाई। मूढ़ सिखिहि कहँ बहुत झुठाई॥ बालि न कबहुँ गाल अस मारा। मिलि तपसिन्ह तैं भएसि लबारा॥3॥

Spread the Glory of Sri SitaRam!

श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
षष्ठः सोपानः | Descent 6th
श्री लंकाकाण्ड | Shri Lanka Kand

चौपाई : 

जुगुति सुनत रावन मुसुकाई। मूढ़ सिखिहि कहँ बहुत झुठाई॥
बालि न कबहुँ गाल अस मारा। मिलि तपसिन्ह तैं भएसि लबारा॥3॥

भावार्थ:

अंगद की युक्ति सुनकर रावण मुस्कुराया (और बोला-) अरे मूर्ख! बहुत झूठ बोलना तूने कहाँ से सीखा? बालि ने तो कभी ऐसा गाल नहीं मारा। जान पड़ता है तू तपस्वियों से मिलकर लबार हो गया है॥3॥

 

    English :

 

 

IAST :

 

 

Meaning :


Spread the Glory of Sri SitaRam!

Shiv

शिव RamCharit.in के प्रमुख आर्किटेक्ट हैं एवं सनातन धर्म एवं संस्कृत के सभी ग्रंथों को इंटरनेट पर निःशुल्क और मूल आध्यात्मिक भाव के साथ कई भाषाओं में उपलब्ध कराने हेतु पिछले 8 वर्षों से कार्यरत हैं। शिव टेक्नोलॉजी पृष्ठभूमि के हैं एवं सनातन धर्म हेतु तकनीकि के लाभकारी उपयोग पर कार्यरत हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

उत्कृष्ट व निःशुल्क सेवाकार्यों हेतु आपके आर्थिक सहयोग की अति आवश्यकता है! आपका आर्थिक सहयोग हिन्दू धर्म के वैश्विक संवर्धन-संरक्षण में सहयोगी होगा। RamCharit.in व SatyaSanatan.com धर्मग्रंथों को अनुवाद के साथ इंटरनेट पर उपलब्ध कराने हेतु अग्रसर हैं। कृपया हमें जानें और सहयोग करें!

X
error: