तात चढ़हु रथ बलि महतारी। होइहि प्रिय परिवारु दुखारी॥ तुम्हरें चलत चलिहि सबु लोगू। सकल सोक कृस नहिं मग जोगू॥3॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
द्वितीय सोपान | Descent Second
श्री अयोध्याकाण्ड | Shri Ayodhya-Kand
चौपाई :
तात चढ़हु रथ बलि महतारी। होइहि प्रिय परिवारु दुखारी॥
तुम्हरें चलत चलिहि सबु लोगू। सकल सोक कृस नहिं मग जोगू॥3॥
भावार्थ:
हे बेटा! माता बलैया लेती है, तुम रथ पर चढ़ जाओ। नहीं तो सारा परिवार दुःखी हो जाएगा। तुम्हारे पैदल चलने से सभी लोग पैदल चलेंगे। शोक के मारे सब दुबले हो रहे हैं, पैदल रास्ते के (पैदल चलने के) योग्य नहीं हैं॥3॥
English :
IAST :
Meaning :