नव बिधु बिमल तात जसु तोरा। रघुबर किंकर कुमुद चकोरा॥ उदित सदा अँथइहि कबहूँ ना। घटिहि न जग नभ दिन दिन दूना॥1॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
द्वितीय सोपान | Descent Second
श्री अयोध्याकाण्ड | Shri Ayodhya-Kand
चौपाई :
नव बिधु बिमल तात जसु तोरा। रघुबर किंकर कुमुद चकोरा॥
उदित सदा अँथइहि कबहूँ ना। घटिहि न जग नभ दिन दिन दूना॥1॥
भावार्थ:
हे तात! तुम्हारा यश निर्मल नवीन चन्द्रमा है और श्री रामचन्द्रजी के दास कुमुद और चकोर हैं (वह चन्द्रमा तो प्रतिदिन अस्त होता और घटता है, जिससे कुमुद और चकोर को दुःख होता है), परन्तु यह तुम्हारा यश रूपी चन्द्रमा सदा उदय रहेगा, कभी अस्त होगा ही नहीं! जगत रूपी आकाश में यह घटेगा नहीं, वरन दिन-दिन दूना होगा॥1॥
English :
IAST :
Meaning :