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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

परम प्रसन्न जानु मुनि मोही। जो बर मागहु देउँ सो तोही॥ मुनि कह मैं बर कबहुँ न जाचा। समुझि न परइ झूठ का साचा॥12॥

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श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
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चौपाई

परम प्रसन्न जानु मुनि मोही। जो बर मागहु देउँ सो तोही॥
मुनि कह मैं बर कबहुँ न जाचा। समुझि न परइ झूठ का साचा॥12॥

भावार्थ:

(और कहा-) हे मुनि! मुझे परम प्रसन्न जानो। जो वर माँगो, वही मैं तुम्हें दूँ! मुनि सुतीक्ष्णजी ने कहा- मैंने तो वर कभी माँगा ही नहीं। मुझे समझ ही नहीं पड़ता कि क्या झूठ है और क्या सत्य है, (क्या माँगू, क्या नहीं)॥12॥

 

    English :

 

 

IAST :

 

 

Meaning :


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Shiv

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