पानिग्रहन जब कीन्ह महेसा। हियँ हरषे तब सकल सुरेसा॥ बेदमन्त्र मुनिबर उच्चरहीं। जय जय जय संकर सुर करहीं॥2॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kand
पानिग्रहन जब कीन्ह महेसा। हियँ हरषे तब सकल सुरेसा॥
बेदमन्त्र मुनिबर उच्चरहीं। जय जय जय संकर सुर करहीं॥2॥
भावार्थ:
जब महेश्वर (शिवजी) ने पार्वती का पाणिग्रहण किया, तब (इन्द्रादि) सब देवता हृदय में बड़े ही हर्षित हुए। श्रेष्ठ मुनिगण वेदमंत्रों का उच्चारण करने लगे और देवगण शिवजी का जय-जयकार करने लगे॥2॥
English :
pānigrahana jaba kīnha mahēsā. hiṃyaom haraṣē taba sakala surēsā..
bēda maṃtra munibara uccarahīṃ. jaya jaya jaya saṃkara sura karahīṃ..
IAST :
pānigrahana jaba kīnha mahēsā. hiṃyaom haraṣē taba sakala surēsā..
bēda maṃtra munibara uccarahīṃ. jaya jaya jaya saṃkara sura karahīṃ..
Meaning :
When the great Lord Siva took the hand of the bride, all the great gods were glad at heart. The principal sages chanted the Vedic formulas, while the gods exclaimed, “Victory, victory, all victory to Sarkara !”