पूछेउ तब सिवँ कहेउ बखानी। पिता जग्य सुनि कछु हरषानी॥ जौं महेसु मोहि आयसु देहीं। कछु िदन जाइ रहौं मिस एहीं॥3॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई (60.3) | Caupāī (60.3)
पूछेउ तब सिवँ कहेउ बखानी। पिता जग्य सुनि कछु हरषानी॥
जौं महेसु मोहि आयसु देहीं। कछु िदन जाइ रहौं मिस एहीं॥3॥
भावार्थ:-सतीजी ने (विमानों में देवताओं के जाने का कारण) पूछा, तब शिवजी ने सब बातें बतलाईं। पिता के यज्ञ की बात सुनकर सती कुछ प्रसन्न हुईं और सोचने लगीं कि यदि महादेवजी मुझे आज्ञा दें, तो इसी बहाने कुछ दिन पिता के घर जाकर रहूँ॥3॥
pūchēu taba sivaom kahēu bakhānī. pitā jagya suni kachu haraṣānī..
jauṃ mahēsu mōhi āyasu dēhīṃ. kucha dina jāi rahauṃ misa ēhīṃ..
When Sati inquired about the stir in the air, Siva explained the whole thing. She was somewhat delighted to hear of the sacrifice commenced by Her father and thought of making it an excuse for staying a few days with Her father in case the great Lord Siva granted Her leave.