प्रगटेउ जहँ रघुपति ससि चारू। बिस्व सुखद खल कमल तुसारू॥ दसरथ राउ सहित सब रानी। सुकृत सुमंगल मूरति मानी॥3॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 15.3| Caupai 15.3
प्रगटेउ जहँ रघुपति ससि चारू। बिस्व सुखद खल कमल तुसारू॥
दसरथ राउ सहित सब रानी। सुकृत सुमंगल मूरति मानी॥3॥
भावार्थ:-जहाँ (कौशल्या रूपी पूर्व दिशा) से विश्व को सुख देने वाले और दुष्ट रूपी कमलों के लिए पाले के समान श्री रामचन्द्रजी रूपी सुंदर चंद्रमा प्रकट हुए। सब रानियों सहित राजा दशरथजी को पुण्य और सुंदर कल्याण की मूर्ति मानकर-
pragaṭēu jahaom raghupati sasi cārū. bisva sukhada khala kamala tusārū..
dasaratha rāu sahita saba rānī. sukṛta sumaṃgala mūrati mānī..
She is the eastern horizon whence arose the lovely moon in the shape of the Lord of Raghus, who affords delight to the entire universe and is blighting as frost to lotuses in the form of the wicked. Recognizing king Dasaratha together with all his consorts as incarnations of merit and fair blessings, (3)