प्रभु ताते उर हतइ न तेही। एहि के हृदयँ बसति बैदेही॥7॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
षष्ठः सोपानः | Descent 6th
श्री लंकाकाण्ड | Shri Lanka Kand
चौपाई :
प्रभु ताते उर हतइ न तेही।
एहि के हृदयँ बसति बैदेही॥7॥
भावार्थ:
परन्तु प्रभु उसके हृदय में बाण इसलिए नहीं मारते कि इसके हृदय में जानकीजी (आप) बसती हैं॥7॥
IAST :
Meaning :