बंदउँ लछिमन पद जल जाता। सीतल सुभग भगत सुख दाता॥ रघुपति कीरति बिमल पताका। दंड समान भयउ जस जाका॥3॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 16.3| Caupāī 16.3
बंदउँ लछिमन पद जल जाता। सीतल सुभग भगत सुख दाता॥
रघुपति कीरति बिमल पताका। दंड समान भयउ जस जाका॥3॥
भावार्थ:-मैं श्री लक्ष्मणजी के चरण कमलों को प्रणाम करता हूँ, जो शीतल सुंदर और भक्तों को सुख देने वाले हैं। श्री रघुनाथजी की कीर्ति रूपी विमल पताका में जिनका (लक्ष्मणजी का) यश (पताका को ऊँचा करके फहराने वाले) दंड के समान हुआ॥3॥
baṃdauom lachimana pada jalajātā. sītala subhaga bhagata sukha dātā..
raghupati kīrati bimala patākā. daṃḍa samāna bhayau jasa jākā..
I reverence the lotus feet of Laksmana-cool and charming and a sourece of delight to the devotee-whose renown served as a staff for the spotless flag of Sri Rama’s glory.