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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

बर दायक प्रनतारति भंजन। कृपासिंधु सेवक मन रंजन॥bara dayaka pranatarati bhanjana| kripasindhu sevaka mana ranjana||

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श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
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श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई (69.4) | Caupāī (69.4)

बर दायक प्रनतारति भंजन। कृपासिंधु सेवक मन रंजन॥
इच्छित फल बिनु सिव अवराधें। लहिअ न कोटि जोग जप साधें॥4॥

भावार्थ:

शिवजी वर देने वाले, शरणागतों के दुःखों का नाश करने वाले, कृपा के समुद्र और सेवकों के मन को प्रसन्न करने वाले हैं। शिवजी की आराधना किए बिना करोड़ों योग और जप करने पर भी वांछित फल नहीं मिलता॥4॥

English:

bara dayaka pranatarati bhanjana| kripasindhu sevaka mana ranjana||
ichchhita phala binu siva avaradhem| lahia na koti joga japa sadhem||4||

IAST:

bara dāyaka pranatārati bhaṃjana. kṛpāsiṃdhu sēvaka mana raṃjana..
icchita phala binu siva avarādhē. lahia na kōṭi jōga japa sādhēṃ..

Meaning:

He is the bestower of boons, the dispeller of the agony of the suppliant, an ocean of benevolence and the delight of His devotee. Without propitiating Siva the object of one’s desire cannot be attained through millions of Yogic practices and Japa (repetitions of a mystic formula).

 


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