बिधि निषेधमय कलिमल हरनी। करम कथा रबिनंदनि बरनी॥ हरि हर कथा बिराजति बेनी। सुनत सकल मुद मंगल देनी॥5॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई5 |Caupāī 5
बिधि निषेधमय कलिमल हरनी। करम कथा रबिनंदनि बरनी॥
हरि हर कथा बिराजति बेनी। सुनत सकल मुद मंगल देनी॥5॥
भावार्थ:-विधि और निषेध (यह करो और यह न करो) रूपी कर्मों की कथा कलियुग के पापों को हरने वाली सूर्यतनया यमुनाजी हैं और भगवान विष्णु और शंकरजी की कथाएँ त्रिवेणी रूप से सुशोभित हैं, जो सुनते ही सब आनंद और कल्याणों को देने वाली हैं॥5॥
bidhi niṣēdhamaya kali mala haranī. karama kathā rabinaṃdani baranī..
hari hara kathā birājati bēnī. sunata sakala muda maṃgala dēnī..
Discourses on Karma or Action, consisting of injunctions and interdictions, have been spoken of as the sacred Yamuna-a daughter of the sun-god in her angelic form-washing the impurities of the Kali age; while the anecdotes of Visnu and Siva stand out as the triple stream known as Triveni, bringing joy and blessings to those who listen to them. Unwavering faith in their own creed constitutes the immortal banyan tree and noble actions represent the royal court of that king of holy places.