भायँ कुभायँ अनख आलस हूँ। नाम जपत मंगल दिसि दसहूँ॥ सुमिरि सो नाम राम गुन गाथा। करउँ नाइ रघुनाथहि माथा॥1॥॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 27.1| |Caupāī 27.1
भायँ कुभायँ अनख आलस हूँ। नाम जपत मंगल दिसि दसहूँ॥
सुमिरि सो नाम राम गुन गाथा। करउँ नाइ रघुनाथहि माथा॥1॥॥
भावार्थ:-अच्छे भाव (प्रेम) से, बुरे भाव (बैर) से, क्रोध से या आलस्य से, किसी तरह से भी नाम जपने से दसों दिशाओं में कल्याण होता है। उसी (परम कल्याणकारी) राम नाम का स्मरण करके और श्री रघुनाथजी को मस्तक नवाकर मैं रामजी के गुणों का वर्णन करता हूँ॥1॥
bhāyaom kubhāyaom anakha ālasahūom. nāma japata maṃgala disi dasahūom..
sumiri sō nāma rāma guna gāthā. karauom nāi raghunāthahi māthā..
The Name repeated either with good or evil intentions, in an angry mood or even while yawning, diffuses joy in all the ten directions. Remembering that Name and bowing my head to the Lord of Raghus, I proceed to recount the virtues of Sri Rama.
धन्यवाद अति सुंदर आपके द्वारा वैदिक ज्ञान फैलाया जा रहा है संपूर्ण विश्व का कल्याण करने वाला है प्रभु आपके ऊपर अपनी कृपा बनाए रखें