मागध सूत बंधि गुनगायक। चले जान चढ़ि जो जेहि लायक॥ बेसर ऊँट बृषभ बहु जाती। चले बस्तु भरि अगनित भाँती॥3॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kand
मागध सूत बंधि गुनगायक। चले जान चढ़ि जो जेहि लायक॥
बेसर ऊँट बृषभ बहु जाती। चले बस्तु भरि अगनित भाँती॥3॥
भावार्थ:
मागध, सूत, भाट और गुण गाने वाले सब, जो जिस योग्य थे, वैसी सवारी पर चढ़कर चले। बहुत जातियों के खच्चर, ऊँट और बैल असंख्यों प्रकार की वस्तुएँ लाद-लादकर चले॥3॥
English :
IAST :
Meaning :