मुनि महिसुर गुर भरत भुआलू। राम बिरहँ सबु साजु बिहालू। प्रभु गुन ग्राम गनत मन माहीं। सब चुपचाप चले मग जाहीं॥1॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
द्वितीय सोपान | Descent Second
श्री अयोध्याकाण्ड | Shri Ayodhya-Kand
चौपाई :
मुनि महिसुर गुर भरत भुआलू। राम बिरहँ सबु साजु बिहालू।
प्रभु गुन ग्राम गनत मन माहीं। सब चुपचाप चले मग जाहीं॥1॥
भावार्थ:
मुनि, ब्राह्मण, गुरु वशिष्ठजी, भरतजी और राजा जनकजी सारा समाज श्री रामचन्द्रजी के विरह में विह्वल है। प्रभु के गुण समूहों का मन में स्मरण करते हुए सब लोग मार्ग में चुपचाप चले जा रहे हैं॥1॥
English :
IAST :
Meaning :