मोर कहा तुम्ह ताहि सुनावहु। तासु बचन सुनि आतुर आवहु॥ दूतन्ह कहा राम सन जाई। सुनत राम बोले मुसुकाई॥4॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
तृतीय सोपान | Descent Third
श्री अरण्यकाण्ड | Shri Aranya-Kand
चौपाई :
मोर कहा तुम्ह ताहि सुनावहु। तासु बचन सुनि आतुर आवहु॥
दूतन्ह कहा राम सन जाई। सुनत राम बोले मुसुकाई॥4॥
भावार्थ:
मेरा यह कथन तुम लोग उसे सुनाओ और उसका वचन (उत्तर) सुनकर शीघ्र आओ। दूतों ने जाकर यह संदेश श्री रामचंद्रजी से कहा। उसे सुनते ही श्री रामचंद्रजी मुस्कुराकर बोले-॥4॥
English :
IAST :
Meaning :