राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरीं द्वार। तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौं चाहसि उजिआर॥21॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
दोहा 21| |Dohas 21
राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरीं द्वार।
तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौं चाहसि उजिआर॥21॥
भावार्थ:-तुलसीदासजी कहते हैं, यदि तू भीतर और बाहर दोनों ओर उजाला चाहता है, तो मुख रूपी द्वार की जीभ रूपी देहली पर रामनाम रूपी मणि-दीपक को रख॥21॥
rāma nāma manidīpa dharu jīha dēharī dvāra.
tulasī bhītara bāhērahuom jauṃ cāhasi ujiāra..21.
Instal the luminous gem in the shape of the divine name ‘Rama’ on the threshold of the tongue at the doorway of your mouth, if you will have light both inside and outside,O Tulasidasa.(21)