राम नाम सिव सुमिरन लागे। जानेउ सतीं जगतपति जागे॥ जाइ संभु पद बंदनु कीन्हा। सनमुख संकर आसनु दीन्हा॥2॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई (59.2) | Caupāī (59.2)
राम नाम सिव सुमिरन लागे। जानेउ सतीं जगतपति जागे॥
जाइ संभु पद बंदनु कीन्हा। सनमुख संकर आसनु दीन्हा॥2॥
भावार्थ:-शिवजी रामनाम का स्मरण करने लगे, तब सतीजी ने जाना कि अब जगत के स्वामी (शिवजी) जागे। उन्होंने जाकर शिवजी के चरणों में प्रणाम किया। शिवजी ने उनको बैठने के लिए सामने आसन दिया॥2॥
rāma nāma siva sumirana lāgē. jānēu satīṃ jagatapati jāgē..
jāi saṃbhu pada baṃdanu kīnhī. sanamukha saṃkara āsanu dīnhā..
Siva started repeating the name of RŒma; then Sats came to know that the Lord of the universe had come to the waking state. She went and bowed at the feet of Sambhu, Sarkara gave Her a seat opposite Himself.