सठ सेवक की प्रीति रुचि रखिहहिं राम कृपालु। उपल किए जलजान जेहिं सचिव सुमति कपि भालु॥28 क॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
दोहा 28(क)| |Dohas 28(ka)
सठ सेवक की प्रीति रुचि रखिहहिं राम कृपालु।
उपल किए जलजान जेहिं सचिव सुमति कपि भालु॥28 क॥
भावार्थ:-तथापि कृपालु श्री रामचन्द्रजी मुझ दुष्ट सेवक की प्रीति और रुचि को अवश्य रखेंगे, जिन्होंने पत्थरों को जहाज और बंदर-भालुओं को बुद्धिमान मंत्री बना लिया॥28 (क)॥
saṭha sēvaka kī prīti ruci rakhihahiṃ rāma kṛpālu.
upala kiē jalajāna jēhiṃ saciva sumati kapi bhālu..28ka..
The benevolent Rama will nonetheless respect the devotion and pleasure of this wicked servant-Sri Rama, who made barks out of rocks and wise counsellors out of monkeys and bears.