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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

 सतीं कीन्ह सीता कर बेषा। सिव उर भयउ बिषाद बिसेषा॥ जौं अब करउँ सती सन प्रीती। मिटइ भगति पथु होइ अनीती॥4॥

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श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 55.4 | Caupāī 55.4

 सतीं कीन्ह सीता कर बेषा। सिव उर भयउ बिषाद बिसेषा॥
जौं अब करउँ सती सन प्रीती। मिटइ भगति पथु होइ अनीती॥4॥

भावार्थ:-सतीजी ने सीताजी का वेष धारण किया, यह जानकर शिवजी के हृदय में बड़ा विषाद हुआ। उन्होंने सोचा कि यदि मैं अब सती से प्रीति करता हूँ तो भक्तिमार्ग लुप्त हो जाता है और बड़ा अन्याय होता है॥4॥

satīṃ kīnha sītā kara bēṣā. siva ura bhayau biṣāda bisēṣā..
jauṃ aba karauom satī sana prītī. miṭai bhagati pathu hōi anītī..

Sati had assumed the disguise of Sita: this made Siva much disconsolate at heart. “If I continue to love Sats as heretofore, the cult of Devotion will disappear and it will be indecorous on My part to do so.

 


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